विश्व बैंक ने कहा है कि महंगाई को थामने के लिए दुनियाभर के केंद्रीय बैंक ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं, जिससे मंदी की आशंका और गहराती जा रही है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के बाद अब विश्व बैंक (World Bank) ने भी साल 2023 में मंदी (Recession) की आशंका जताई है.

स्टडी में कहा गया है कि ग्लोबल इकॉनमी अभी साल 1970 के बाद से मंदी के बाद सबसे धीमी गति से आगे बढ़ रही है. इतना ही नहीं इससे पहले आई मंदी की तुलना में अभी कंज्यूमर कॉन्फिडेंस भी काफी कम है. लिहाजा अगले साल ग्लोबल मंदी की आशंकाओं से इनकार नहीं किया जा सकता है. विश्व बैंक ने अपनी ताजा स्टडी में कहा है कि दुनिया की तीनों बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका, चीन और यूरोपीय क्षेत्र की विकास दर में तेजी से गिरावट दिख रही है.
बड़ी चिंता क्यों है.
दुनियाभर के देश अपने यहां महंगाई को थामने के लिए ब्याज दरों में ताबड़तोड़ बढ़ोतरी करते जा रहे हैं, लेकिन महंगाई काबू में नहीं आ रही. उल्टे विकास दर भी प्रभावित होनी शुरू हो गई है. ब्याज दरें बढ़ाने का सिलसिला अगले साल भी जारी रहेगा. ग्लोबल इकॉनमी काफी सुस्त चाल से आगे बढ़ रही है. इसमें और गिरावट आने पर ज्यादातर देश मंदी की चपेट में आ जाएंगे. यह ट्रेंड विकसित और विकासशील दोनों ही अर्थव्यवस्थाओं में बढ़ता जा रहा है. 2023 के दौरान जीडीपी की ग्रोथ में 0.5 तक गिरावट और प्रति व्यक्ति आय में 0.4 फीसदी तक गिरावट की आशंका है. यह तकनीकी तौर पर मंदी होगी. सप्लाई बाधित होने के बावजूद लेबर मार्केट पर दबाव है और साल 2023 में भी ग्लोबल कोर इंफ्लेशन रेट 5 फीसदी के आसपास रहने का अनुमान है, जिसमें एनर्जी भी शामिल है. यह महामारी के पहले के पांच साल के औसत से करीब दोगुना होगी. ऐसे में महंगाई थामने के लिए केंद्रीय बैंक 2 फीसदी की ब्याज दरें और बढ़ा सकते हैं, जबकि साल 2021 में पहले ही इसमें 2 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है.

ये हैं कुछ महत्वपूर्ण जो सरकार को उठाने चाहिए
मौद्रिक नीतियों में हालिया सख्ती और फिस्कल पॉलिसी में बदलाव से महंगाई को घटाने में मदद मिलेगी. हालांकि, इस पर ज्यादा जोर दिए जाने से स्थितियां विपरीत भी हो सकती हैं और ग्लोबल ग्रोथ सुस्त पड़ जाएगी. लिहाजा केंद्रीय बैंकों को महंगाई थामने के उपाय करते समय अपनी विकास दर भी ध्यान रखनी चाहिए. पॉलिसी मेकर्स को फिलहाल मीडियम टर्म के प्लान नहीं बनाने चाहिए, बल्कि उन्हें अपनी नीतियां ज्यादा स्पष्ट और लंबी अवधि तक रखने की जरूरत है. विश्व बैंक के वाइस प्रेसिडेंट अहान कोस ये सुझाव ह।
source: bbc hindi