krishna story for kids हालो बच्चों! क्या आपको कृष्णा की कहानी सुननी है? तो चलिए, मैं आपको एक रोमांचक कृष्णा की कहानी सुनाता हूं।
एक समय की बात है, जब भगवान विष्णु के आवातार श्रीकृष्ण बाल्यावस्था में वृंदावन में रहते थे। उनके साथ उनके यशोदा माता और नंद बाबा भी रहते थे।

बच्चो के लिए कृष्णा की मजेदार कहानी (krishna story)
एक बार, यशोदा माता ने श्रीकृष्ण को कहा, “हे कन्हैया, तुम्हे और तुम्हारे यजमान गोपों को दूध पिलाना होगा।”
श्रीकृष्ण ने मुस्कान करते हुए कहा, “माता जी, मैं दूध नहीं पीयूंगा।”
यशोदा माता आश्चर्य से पूछी, “क्यों, कन्हैया? तुम्हें दूध क्यों नहीं पसंद है?”
श्रीकृष्ण ने उत्तर दिया, “माता जी, मुझे लगता है कि गाय माता बहुत थक जाती है और वह दूध पिलाने के लिए परेशान होती है। मैं चाहता हूँ कि मैं गोपियों के लिए दूध उगाऊँ और उन्हें सबसे अच्छा दूध पिलाऊँ।”
यशोदा माता ने अच्छा समझकर कहा, “तुम बहुत ही चतुर और प्यारे हो, कन्हैया। अगर तुम ऐसा चाहते हो तो मैं तुम्हारी इच्छा पूरी करने के लिए गोपियों को उपहार दूँगी।”
कृष्ण भगवान को बचपन से ही योग्यताएं थीं। वो यशोदा माता और नंदबाबा के पास वृंदावन में रहते थे। उनकी मिट्टी के मूर्ति को देखकर सभी लोग विस्मित हो जाते थे।
एक दिन, कृष्ण ने वृंदावन के गोपों के साथ खेलने का निश्चय किया। उन्होंने दोस्तों को अपने बांसुरी की आवाज में आकर्षित किया। गोपों ने ध्यान दिया और वे सब नंदगांव की ओर चल पड़े।
कृष्ण ने अपने साथी गोपों के साथ हरे-भरे वन में खेला। उन्होंने चारों ओर फूल तोड़े और खेलते समय खेतों की देखभाल की।(krishna story)

एक दिन, उन्होंने देखा कि इकलौती गोपियों में से एक राधा अपनी माता के लिए दूध लेकर आ रही है, लेकिन उसका दूध ढ़ेर सारे फूलों की मदद से गिर गया।
एक समय की बात है, जब भगवान कृष्ण बचपन में गोकुल नगरी में नंद बाबा और यशोदा माता के पास रहते थे। कृष्ण बचपन से ही बहुत ही माखन चोर थे और अपनी शरारतों के लिए मशहूर थे।
एक दिन, यशोदा माता ने घर में चूजे का एक बड़ा सा मशक रखा हुआ था। कृष्ण ने देखा कि मशक में दूध है और वह चाहता है कि वह उस दूध को पी ले। लेकिन मशक इतना बड़ा था कि कृष्ण को उसमें दूध पीने के लिए ऊँचा जाना पड़ता।
कृष्ण ने एक चालबाज़ प्लान बनाया। वह मशक के नीचे एक पत्थर रखने जा रहा था और मशक को छूने की कोशिश करने के बहाने उसे उधेरव से बात करने के लिए कहेगा। उधेरव जाना बहुत लंबा था, जिसका फायदा कृष्ण को था।
कृष्ण ने उधेरव से कहा, “मेरे पास एक सवाल है, जो मुझे रोज़ रात को सोते समय परेशान करता है। कौन सा पत्थर ऐसा है जो गर्म होते ही दूध को ठंडा कर देता है?”
कृष्णा की माता यशोदा और पिता वासुदेव गोकुल नामक छोटे गांव में रहते थे। कृष्णा बचपन से ही बड़े चंचल और मजेदार थे। एक बार गोपियाँ शिकायत करने आईं कि कृष्णा उनके मकान में चोरी करके मक्खन खा जाता है। यशोदा माता ने कृष्णा से पूछा, “हाय, कृष्णा, क्या सच में तुम मकान में चोरी करके मक्खन खा रहे हो?”

(krishna story) कृष्णा मुस्काते हुए बोले, “माता, मैंने तो सचमुच मकान में मक्खन नहीं चोरी किया है।” यशोदा माता ने देखा कि कृष्णा के होंठ और दांतों के बीच में मक्खन का सफेद दाग है। वह हंसते हुए बोले, “देखो माता, मकान के चोर के दांतों पर मक्खन का दाग हो जाता है। मैं चोर नहीं हूँ, यह सब तो मेरी मजाकिया हरकतें हैं।”
एक समय की बात है, जब भगवान विष्णु ने धरती पर अवतार लेने का निर्णय लिया। उन्होंने एक खूबसूरत और माखन चोर की शक्ति में अवतरित होने का फैसला किया। वे वृंदावन नामक गाँव में नंद महाराज और यशोदा माता के घर में जन्म ले गए।
इस अवतार को भगवान कृष्ण कहा जाता है। बचपन से ही कृष्ण खिलौनों को छोड़कर माखन चुराने में बहुत रुचि रखते थे। एक बार कृष्ण ने अपने घर के पास एक नदी की तरफ चले जाने का निर्णय किया। वे और उनके साथियो ने अपनी माताओं को बताया और सब मिलकर नदी की तरफ चले गए।
कृष्ण और गोप बच्चों ने उन ठंडे पानी का आनंद लिया और उन्हें खेलने में बहुत मज़ा आया। वे सभी भगवान कृष्ण के साथ नहाने के लिए उत्सुक थे। कृष्ण ने एक बड़ा नंद की हाथी खेली और सभी को आवाज़ देते हुए कहा, “सब लोग जल्दी से मुझे नदी में फेंको!” यह सुनकर सभी बच्चे बहुत हंस पड़े।
कृष्णा ने कहा तुम सब हंस क्यों रहे हो ? गोपो ने कहा की मजाक क्यों कर रहे हो मित्र | कृष्णा ने कहा मे मजाक नही कर रहा हूँ | सब लोग फिर से हसने लगे | इस बात पर कृष्णा नाराज हो गये और अपने घर चले गये |

एक दिन, कृष्णा अपने गांव के बगीचे में खेल रहा था। वह अपनी घूंघराले गोपालीयों के साथ खेल रहा था। अचानक, वह बगीचे में एक माटी के मुर्ति पर ध्यान देता है। यह माटी की मुर्ति एक गोवर्धन पहाड़ की दिखाई देती है। कृष्णा को बहुत अच्छा लगता है और वह उसे देखने के लिए उसके पास जाता है।
कृष्णा माटी की मुर्ति के समीप जाते ही वह अपने दोस्तों को बुलाता है और उन्हें बताता है कि वह इसे अपने गांव में लाना चाहता है। सभी दोस्त खुशी से सहमत हो जाते हैं और उनकी मदद से कृष्णा माटी की मुर्ति को उठाकर अपने गांव ले जाता है।
इसके बाद वह उस माटी की मूर्ती अपनी माता को दिखाता है | और उस मूर्ती के साथ हर दिन वो और उसके दोस्त खेलने लगते है |
धन्यवाद!
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