
महर्षि वाल्मीकि सनातन धर्म के प्रमुख ऋषियों में से एक है और हिंदू धर्म का प्रमुख महाकाव्य रामायण की रचना इनके द्वारा ही की गयी थी। पौराणिक कथाओं के आधार अनुसार इनका जन्म आश्विन माह की शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। इन्हीं पौराणिक कथाओं से यह भी ज्ञात होता है कि महर्षि बनने से पहले उनका नाम रत्नाकर हुआ करता था। रामायण ग्रन्थ प्रथम महाकाव्य है जो श्रीराम के जीवन की प्रमुख घटनाओं को काव्य के रूप में सुनाता है ।
यह जयंती हर साल अश्विन महीने की पूर्णिमा को देश भर में धूम धाम से मनाई जाती है । महर्षि वाल्मीकि जयंती के पर्व को पूरे देश भर में काफी धूम-धाम के साथ मनाया जाता है और इस दिन कई स्थानों पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन कई जगहों पर महर्षि वाल्मीकि की मूर्तियों को सजाकर शोभा यात्रा निकालते हुए लोगों द्वारा मिठाई, फल तथा विभिन्न तरह के पकवान वितरित किये जाते है। महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर लोगो को उनके के जीवन का ज्ञान दिया जाता है, ताकि लोग उनके जीवन से सीख लेते हुए हर तहर के बाधाओं को पार करके अपने जीवन में सत्य तथा धर्म के मार्ग रक चल सके।